Bihar Board Class 10th Political Science Chapter 1
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Sunday, April 13, 2025 at 05:03:34 PM

Bihar Board Class 10th Political Science Chapter 1

लोकतंत्र ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें लोगों के लिए एवं लोगों के द्वारा ही शासन चलाया जाता है। शासन में लोक... परंतु ठीक इसके विपरीत भारत में सामाजिक...

इस अध्याय में हम यह भी देखेंगे कि किस तरह लोकतंत्र सारी सामाजिक विभिन्नताओं, अंतरों और असमानताओं के बीच सामंजस्य बैठाकर उनका सर्वमान्य समाधान देने की कोशिश करता है । इन्हीं अवधारणाओं को आगे बढ़ाते हुए यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि सामाजिक विभिन्नता कैसे अलग-अलग रूप धारण करती है और सामाजिक विभिन्नता और लोकतांत्रिक राजनीति किस प्रकार एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।

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हम यह अध्याय के दूसरे पड़ाव पर इस सामाजिक विभाजन और भेदभाव वाली तीन सामाजिक असमानताओं पर गौर करेंगे यथा – जाति, धर्म और लिंग आधारित सामाजिक विषमता । इन तीन पर आधारित विषमताएँ कैसी है और किस प्रकार राजनीति में अभिव्यक्त होती है, इस पर भी हम बारी-बारी से गौर करेंगे। नीचे इस अध्याय के प्रश्न उत्तर दिए गए हैं।

V.V.I Q.1. हमारे संविधान के अनुच्छेद 19 हमें क्या बताता है।

उत्तर- अनुच्छेद 19 देश के सभी नागरीकों को स्वतंत्रता का मूल अधिकार दिया है इसके अंतर्गत हम भारत के किसी भी राज्य में निवास कर सकते है, घर बना सकते है। व्यापार कर सकते हैं, और कारोबार कर सकते है।

V.V.I Q.2. अनुच्छेद 15 हमें क्या बताता है?

उत्तर- अनुच्छेद 15 हमें धर्म, वंश, जाति या जन्म स्थान के आधार पर किसी प्रकार के भेदभाव हम नहीं कर सकते है।

H.G Q.3. हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती है? कैसे।

उत्तर- हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप ग्रहण नहीं कर सकती है। हम देखते है कि कभी-कभी विभिन्न समुदाय के विचार भिन्न-भिन्न होते है लेकिन उनका हित समान होते हैं।

H.G Q.4. जीवन के विभन्न पहलुओं का जिक्र करें जिसमें भारत में स्त्रियों के साथ भेद‌भाव है या वे कमजोर स्थिति में है?

उत्तर- (i) लड़की के जन्म लेते ही परिवार में उदासी छा जाती हैं।
(ii) परिवार में लड़‌कियों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है।
(iii) लड़‌कियों को पढ़ाना आवश्यक नहीं समझा जाता है।
(iv) माता-पिता का सोच रहता है कि जल्द से जल्द लड़‌की का शादि कर विदा कर दिया जाए ।
(v) लड़‌कियो को पराईधन मानी जाती है।
(vi) विवाह के बाद भी लड़की लड़‌कियों को ससुराल में सताया जाता है इत्यादि।
                     लेकिन ध्यान रखना है कि पढ़े-लिखें लोगों तथा शहरों में स्थिति आ अच्छी है वहाँ लड़को एंव लड़‌कियों में भेद नहीं समझा जाता है।

H.G Q.5. किन्ही हो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्म - निरपेक्ष देश बनाता है?

उत्तर- (i) भारत के राज्यों में अनेक धर्मों के लोग रहते है वे लोग न तो किसी धर्म का समर्थन कर सकते है और न ही विरोध।
(ii) धर्म के आधार पर किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश लेने से किसी को रोका नहीं जा सकता है।

V.V.I Q.6. सामाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं?

उत्तर- जब व्यक्ति अपने को ऊँचा तथा दूसरे को नीचा समझने लगते है तो सामाजिक विभाजन स्पष्ट रूप से दिखने लगता है और जाति गौण पड़ जाती है।
                      उदाहरण के लिए हम कह सकते कि शादि - विवाह अपनी ही जाति में होती है लेकिन क्या शिक्षित और धनी परिवार अपने पुत्र का विवाह अपनी ही जाति के अशिक्षित और गरीब लड़की के से करने के बजाए अपने बराबर के परिवार से ही रिस्ता बनाऐगा ।

V.V.I Q.7. सामाजिक विभाजनों, की राजनीति के परिणाम-स्वरूप ही लोकतंत्र के व्यवहार में परिवर्तन होता है? स्पष्ट करें।

उत्तर- सामाजिक विभाजनों के राजनीति के परिणाम के फलस्वरूप ही लोकतंत्र के व्यवहार में परिवर्तन होता है बल्कि हो चुका है भारत के संदर्भ में तो यह और भी अधिक लागू होता है स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरंत बाद यदि दलितों एवं पिछरो के उत्थान की बात नहीं सोची गई होती हो आज भारत विखंडित हो गया होता भारतीय संविधान में उन्हें संरक्षण भी दिया दिया गया है इसके साथ ही राजनीतिक दल भी दलितों को आरक्षण देने की बात कहकर उन्हें अपना वोट बैंक बनाने का प्रयास करते हैं।

H.G Q.8. भारत में किस तरह जातिगत असमानताएं जारी है। स्पष्ट करें?

उत्तर- भारत में श्रम विभाजन के आधार पर जातिगत असमानताँए जारी है। जैसा कि कुछ देशों में देखने को मिलता है भारत की तरह दूसरे देशो में भी पेशा का आधार लगभग वंशानुगत है। पेशा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्वतः व्यवस्था जाति का रूप ले लेती है।

H.G Q.9. क्यों सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते हैं? इसके दो कारण बतावे?

उत्तर- (i) किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में एक हीं जाति के मतदाता नहीं होते हैं।
(ii) कोई भी दल किसी एक जाति के वोट पर विजय नहीं हो सकते है।

V.V.I Q.10. विभिन्न तरह के सांप्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दे?

उत्तर- (i) सांप्रदायिक सोच वाला व्यक्ति चाहता है कि उसी के सम्प्रदाय का उम्मीदवार विजय हो लेकिन अधिकत्तर उन्हें निराशा हाथ लगती है। 
(ii) कभी-कभी सांप्रदायिकता के आधार पर गोलबंदी होती है। इसमें धर्म गुरुओं का विशेष हाथ होता है।

V.V.I Q.11. भावी समाज में लोकतंत्र का जिम्मेवारी और उद्देश्य पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखे?

उत्तर- भावी समान में लोकतंत्र की जिम्मेवारी बहुत अधिक है समाज के बीच विभिन्न समुदाय के लोग रहते है उन समुदाय के बीच मेल-मिलाप किस प्रकार से रखा जाए इसकी जिम्मेवारी लोकतंत्र में ज्यादा बढ़ जाती है बहुमत के आधार पर सरकार बनाने वाले को इस बात पर ध्यान देना है कि अल्पमत वालों के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।

V.V.I Q.12. भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है?

उत्तर- भारत के विधायिकाओं में महिलाओं की स्थिति नगण्य है स्वतंत्रता आंदोलन में जिस प्रकार की भागीदारी महिलाओं की थी आज विधायिकाओं में उनकी उतनी कदर नहीं है कोई राजनीतिक दल उनकी संख्या के हिसाब से टिकट नहीं देते है। पुरुष प्रधान समाज उन्हें आरक्षण देना नहीं चाहता है।

V.V.I Q.13. सत्तर के दशक से आधुनिक दशक के बीच भारतीय लोकतंत्र का सफर का वर्णन करें?

उत्तर- सत्तर के दशक के पहले तक राजनीतिक पर स्वर्ण जाति का दबदबा था विधानमंडल और संसद के लिए आरक्षित टिकट अपने समान जाति को ही देते थे। 70 से 90 दशक के बीच इस स्थिति में बदलाव के लिए संघर्ष चलता रहा के 90 के दशक के बाद पिछड़ी जातियों के वर्चस्व कायम हो गया दलितों में जागृति की अवधारणा राजनीतिक को प्रभावित करती रही।

V.V.I Q.14. साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते है?

उत्तर- जब लोग यह महसूस करने लगते है कि जाति ही समुदाय का निर्माण करती है और समुदाय राजनीतिक को प्रभावित करने लगता है तो ऐसी स्थिति को साम्प्रदायिकता कहते है।

Hello! I'm Sumit Kumar, a Class 10 student from the Bihar Board. I started this blog to share my knowledge and thoughts on education