Bihar Board class 10th history chapter 4 | भारत में राष्ट्रवाद
राष्ट्रवाद का शाब्दिक अर्थ होता है- "राष्ट्रीय चेतना का उदय"। ऐसी राष्ट्रीय चेतना का उदय जिसमें राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकीकरण का आभास हों। 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था। उस समय भारत को एकता के सूत्र में बाँधने वाले तत्वों का अभाव था।
समान न्याय व्यवस्था का अभाव था। राष्ट्रीय एकता में कमी का अर्थ है उस अनुभूति का अभाव जो भारत में रहने वाले सभी लोगों को समान लक्ष्य एवं समान सरोकार से जोड़े। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में कई ऐसे तत्व उभरे जिससे ये कमी दूर होती गयी एवं भारत) एक सम्पूर्ण संगठित राष्ट्र का स्वरूपं ग्रहण करने लगा। यही राष्ट्रवाद है एवं इसी राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति स्वतंत्रता संग्रामं है।
H.G Q.1. रौलेट एक्ट से आप क्या समझते है?
उत्तर- रालेट एक्ट कानून 2 मार्च 1919 ई. में गवर्नर जनरल लॉर्ड चेम्सफोर्ड की अध्यक्षता में बनी थी इसके अनुसार संदेह के आधार पर किसी भी भारतीय को गिरफ्तार किया जा सकता था और उनपर गुप्त रूप से मुकदमा चलाकर दंडित भी किया जा सकता है इसके लिए विशेष न्यायलय की व्यवस्था भी कि गई थी। भारतीयों ने इस कानून का कड़ा विरोध किया और इसे काला कानुन की संज्ञा दी इसके साथ भारतीयों ने एक नारा भी दिया कोई वकिल नहीं, कोई दलील नहीं, कोई अपील नहीं।
H.G Q.2. साइमन कमीशन से आप क्या समझते है?
उत्तर- ब्रिटिश सरकार ने 1927 ई. में साइमन आयोग का गठन किया इस आयोग में 7 सदस्य थे जो सभी अंग्रेज थे। इसमें किसी भी भारतीयों को शामिल नहीं किया गया था। इसी कारण भारतीय इसका विरोध करने लगे । 3 फरवरी 1928 ई. को जब आयोग मुबंई पहुंचा तो उसका स्वागत काले झंडे से किया और साइमन-गो-बैंक का नारा लगाये गये। साइमन कमीशन का जब लाहौर में विद्रोह हो रहा था तो पुलीस ने आंदोलनकारी पर लाठी चला दी इसमें लाला लाजपत राय घायल हो गए और अगले दिन उनकी मृत्यु हो गयी।
H.G Q.3. दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था?
उत्तर- दांडी यात्रा के निम्न उद्देश्य थे:-
H.G Q.4. गाँधी इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या था?
उत्तर- गाँधी जी एंव लार्ड इरविन के बीच 5 मार्च 1931 ई. में एक समझौता हुआ था इसे ही दिल्ली समझौता कहा जाता है। इस समझौते में निम्न बातें कही गई है:-
(ii) दमन चक्र बंद करें।
(iii) जब्त संपति वापस करें।
(iv) नौकरी से त्यागपत्र लेने वाले को पुनः नौकरी में वापस लिया जाए।
(v) मुकदमें वापस लें इत्यादि।
H.G Q.5. चम्पारण सत्याग्रह से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- बिहार के चम्पारण जिले में निल्हे साहब किसानों से जबरदस्ती नील की खेती करवाते थे और उनका शोषण भी करते थे अत: गाँधी जी अपने सहयोगियों के साथ 1917 ई० में चंपारण पहुंचे वहाँ किसानों की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल किए जिस कारण अंग्रेज उसे गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया और किसानों की समस्या के जाँच के लिए चंपारण एग्रीयन कमिटी का गठन किया इस कमिटी ने तीन कठिया प्रणाली को भंग कर दिया यह आंदोलन गाँधी जी के सहयोग से सफल रहा।
V.V.I Q.6. दांडी यात्रा का वर्णन करे?
उत्तर- दांडी यात्रा 12 मार्च 1930 ई. को साबरमती आश्रम से शुरू हुई थी गाँधी जी अपने 78 सहयोगियों के साथ 240 कि. मी. लंबी दूरी पैदल तय करके 24 दिनों में दांडी पहुंचे वहाँ उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाकर नमक कानून भंग किए।
H.G Q.7. ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना की चर्चा करे?
उत्तर- कांग्रेस से अलग होकर मुसलमानों ने अपना राजनीतिक संगठन बनाने का निश्चय किया डनलफ स्मिथ के सुझाव पर 36 प्रमुख मुसलमानों का शिष्ट मंडल आगा खाँ के नेतृत्व में 1 अक्टूबर 1906 ई. को शिमला में लार्ड मिंटो से मिला और अपनी माँग रखी लार्ड मिंटो ने उसकी माँग को पूरा करने का वादा किया इस प्रकार 30 दिसम्बर 1906 ई० को ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना हुई।
H.G Q.8. मेरठ षडयंत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- मेरठ षडयंत्र मजदूरों के आंदोलन से जुड़ा हुआ था इस आंदोलन में शामिल 31 मजदूर नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था जिसमें 2 मजदूर अंग्रेज भी थे इन सब मजदूरों पर 4 वर्षों तक मुकदमा चला इसे ही मेरठ षडयंत्र कहा जाता है।
H.G Q.9. गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस क्यों ले लिया?
उत्तर- उत्तर प्रदेश के चौरी-चौरा नामक स्थान पर राजनीतिक जुलूस पर पुलिश ने गोलियाँ बरसाना शुरु कर दिया जिसमें बहुत सारे आंदोलनकारी मारे गये लेकिन जो आंदोलनकारी बच गये वे पुलिश को खदेरना शुरू कर दिया। पुलिश भागकर थाने में शरण लिया लेकिन आंदोलनकारी थाने को चारो तरफ से घेरकर थाना में आग लगा दिया जिसमें 22 पुलिश कर्मी जिंदा जल गए इसी घटना से मार्मित होकर गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
H.G Q.10. जतरा भगत के बारे में आप क्या जानते है?
उत्तर- झारखंड में 20वीं शताब्दी के आरंभ में छोटानागपूर के ओरॉव जनजाति के बीच टाना भगत आंदोलन चला था इस आंदोलन के नेता जतरा भगत थे। यह आंदोलन मूल रूप से सामाजिक एवं धार्मिक था, इसमें समाज एवं शिक्षा सुधार पर बल दिया गया था। ओरॉव जनजाति को मांस, मंदिरा एवं आदिवासी नृत्य त्याग करने के लिए कहा गया था। यह आंदोलन गाँधी जी द्वारा बताये गए अंहिसक मार्ग पर चला था।
V.V.I Q.11. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कॉग्रेस की स्थापना क्यों हुई?
उत्तर- जब गुजरात के कपड़ा मिल के मजदूरों ने हड़ताल शुरु कर दिया तो मिल मालिकों ने घाटा का बहाना बनाकर बोनस देने से इनकार कर दिया। गाँधी जी के सहयोग से मिल मालिकों को झुकना पड़ा और पुनः बोनस की बात बन गई बाद में मिल मजदूरों के साथ खेतीहर मजदूरों का काँग्रेसी कार्यक्रर्म में भाग लेने तथा उनके समर्थन में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन काँग्रेस की स्थापना हुई।
H.G Q.12. असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था कैसे?
उत्तर- असहयोग आंदोलन महात्मा गाँधी जी द्वारा चलाया गया प्रथम जन आंदोलन था। इस आंदोलन में पहली बार महिलाएँ भाग ली थी साथ ही इसमें विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया गया था, पूरे भारत में असहयोग आंदोलन को सफलता मिलती गई। मोतीलाल नेहरू एवं चितरंजन दास अपनी चलती वकालत को छोड़कर इस आंदोलन में कूद पड़े इस प्रकार यह आंदोलन सफल रहा।
H.G Q.13. सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण की विवेचना करें?
(ii) नेहरु रिपोर्ट
(ⅲ) विश्वव्यापी आर्थिक मंदि का प्रभाव
(iv) समाजवाद का बढ़ता प्रभाव
(٧) क्रांतिकारी आंदोलनों का प्रभाव इत्यादि ।
V.V.I Q.14. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में गाँधी जी के योगदान की विवेचना करे?
(ii) 1920 ई० में असहयोग आंदोलन शुरू किए।
(ⅲ) 1930 ई. में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किए।
(iv) 12 मार्च । 1930 ई० को दांडी यात्रा शुरू किए।
(v) दिल्ली समझौता 5 मार्च 1931 ई० गांधी जी के सहयोग में बना।
(vi) 8 अगस्त 1942 ई. को गाँधी जी ने ‘अंग्रेज भारत छोड़ो’ तथा 'करो एवं मरो' का नारा दिया इत्यादि ।
V.V.I Q.15. स्वराज पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें?
उत्तर- स्वराज पार्टी की स्थापना मार्च 1923 ई. में चितरंजन दास एवं मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ था, इसके उद्देश्य निम्न थे :-
(ii) 1919 अधिनियम में सुधार
(iii) अंग्रेजों द्वारा चलायी गई सरकारी परम्परा का अंत
(iv) नौकरसाही का अंत
(v) दमनकारी कानून का विरोध इत्यादि ।
V.V.I Q.16. बिहार में किसान आंदोलन पर एक टिप्पणी लिखे?
उत्तर- जब किसानों में चेतना आने लगी और उसके संगठन बनने लगे तो यह आंदोलन जोर पकड़ने लगा। 1922-23 ई० में मुंगेर में शाह मुहम्मद जुबेर ने किसान सभा की स्थापना किए लेकिन इसको आगे बढ़ाने का श्रेय स्वामी सहजानंद सरस्वती को दिया जाता है। इसके साथ ही 11 अप्रैल 1936 ई० को लखनऊ में अखिल भारतीय किसान सभा का गठन हुआ था ।
H.G Q.17. खिलाफत आंदोलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- जब ब्रिटेन तथा तुर्की में युद्ध शुरू हुआ तो तुर्की बुरी तरह पराजित हो गया। ब्रिटेन तुर्की के शेष प्रदेशो पर भी अपना सत्ता का प्रयोग करने लगे जो भारतीय मुसलमानों को पसंद नहीं था। अतः 1920 ई. में भारतीय मुसलमानो ने एक जोरदार आंदोलन आरंभ किए जिसे खिलाफत आंदोलन कहा जाता है।
V.V.I Q.18. सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए?
(ii) श्रमिक एवं किसान आंदोलन प्रभावित हुए।
(iii) वानर सेना एवं मजरी सेना को नया रूप प्रदान किया गया।
(iv) आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी अधिक रही।
(v) ब्रिटिश सरकार ने काँग्रेस से समानता के आधार पर बातचीत कि इत्यादि ।
H.G Q.19. बारदोली सत्याग्रह से आप क्या समझते है?
उत्तर- बारदोली गुजरात के सूरत जिला में है, यहाँ लगान की बढ़ोतरी के खिलाफ 1926 ई० में व्यापक रूप से आंदोलन शुरू हुआ था। इस आंदोलन को सफलतापूर्वक वल्लभ भाई पटेल ने चलाए थे। इस आंदोलन में बड़ी संख्या में महिला भाग ली थी। आंदोलन को समर्थन देने के लिए एम० मुंशी एवं लालजी नारंगी ने मुबंई विधानसभा की सदस्यता त्याग दि और अंततः यह आंदोलन सफल रहा।
इस आंदोलन में वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि दी गई।
V.V.I Q.20. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों में हुआ था?
उत्तर- भारतीय धर्मग्रंथो का जब अंग्रेजी में अनुवाद हुआ तो लोग धर्म की ओर बढ़ने लगे समाज सुधारको ने भारतीय को स्वतंत्रता का पाठ पढाकर उनके जीवन में नई चेतना भर दि। इन्ही परिस्थितियों में भारतीय राष्ट्रीय क्रांग्रेस की स्थापना 1885 ई० में हुई थी।
V.V.I Q.21. प्रथम विश्वयुद्ध का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के साथ अंत संबंधो की विवेचना करें?
उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के साथ अंतर्संबंधो यह था कि यह भी ब्रिटेन का एक उपनिवेश था वे जहाँ से कच्चा सामग्री ले जाते थे और समान तैयार कर यहीं लाकर बेचा करते थे इसी कारण भारत में गृह उद्योग समाप्त हो गये और कारीगर को मजदूर बनना पड़ा।
V.V.I Q.22. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वामपंथियों की भूमिका को रेखांकित कीजिए ?
उत्तर- असहयोग आंदोलन की समाप्ति के बाद सरकार ने वामपंथियों पर करवाई करना आरंभ कर दिया। पेशावर षड्यंत्र, कानपुर षड्यंत्र, मेरठ षड्यंत्र केश के तहत इनपर मुकदमा चलाये गये बाद में क्रांतिकारी राष्ट्रवादि शहिद साम्यवादी कहे जाने लगे फिर भी वामंपथियों का प्रसार मजदूर संघो पर बढ़ रहा था। विभिन्न स्थानों पर किसान मजदूर की स्थापना कि गई दिसम्बर 1925 ई० में सत्यभगत नामक व्यक्ति ने भारतीय कम्यूनिष्ट पार्टी की स्थापना किए।
H.G Q.23. असहयोग आंदोलन के कारण एवं परिणाम की चर्चा करें?
परिणाम:- 1 जनवरी 1920 ई० को असहयोग आंदोलन शुरु हुआ था संपूर्ण भारत में इस आंदोलन को सफलता मिलती गई। विदेशी कपड़ों का बहिष्कार होने लगा। बड़े - बड़े वकिलों ने न्यायालय का बहिष्कार किया। ब्रिटेन के राजकुमार प्रिंस ऑफ वेल्स के मुंबई पहुंचने पर पूरे महानगर में हड़ताल रखा गया।
V.V.I Q.24. खेड़ा आंदोलन की चर्चा करें?
उत्तर- गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों से अंग्रेज जबरदस्ती लगान वसुल कर रहे थे क्योंकि अधिक बारिश होने के कारण खरीफ फसल को व्यापक क्षति हुई थी जिससे किसान लगान देने से मना कर दिए थे । जब यह बात गाँधी जी को पता चला तो वे किसानों का समर्थन किए। 22 जून 1918 को यहाँ गाँधी जी ने सत्याग्रह का आवाहन किया और अंततः अंग्रेज को झुकना पड़ा।
H.G Q.25. मोपला विद्रोह की चर्चा करें?
उत्तर- आधुनिक केरल राज्य के मालाबार तट पर भी किसानों का एक बड़ा विद्रोह हुआ था जिसे मोपला विद्रोह कहते है। मोपला स्थानीय पहरेदार और खेतीहर मजदूर थे जो इस्लाम धर्म के अनुयायी थे। जबक्ति स्थानीय नम्बूदरी एवं नायर भू स्वामी उच्च जातीय हिंदू थे। यहाँ भीं मोपला किसानो से भी अधिक कर वसूला जाता था जिससे मोपला किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया आंदोलन को दबाने के लिए अँग्रेज ने दमनकारी नियम लागू कर दिया जिससे हजारों मोपला मारे गए एवं 50 हजार से अधिक बंदि बना लिए गए और इस प्रकार यह विद्रोह धीरे-धीरे समाप्त हो गया।
V.V.I Q.26. भारत में मजदूर आंदोलन के बारे में बताइए?
उत्तर- उद्योग के विकास के साथ-साथ मजदूर वर्ग में चेतना आने लगी 20वीं शताब्दी के आरंभ में अय्यर द्वारा मजदूरो के गठन की बात कही तो दूसरी ओर स्वदेशी आंदोलन का भी प्रभाव मजदूरों पर पड़ा। अक्टूबर 1920 ई० को काँग्रेस पार्टी ने ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना कि, सी. आर. दास ने सुझाव दिया कि काँग्रेस द्वारा किसानों एवं मजदूरों को राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल किया जाय। मजदूर आंदोलन को अधिक मजबूत बनता देख ब्रिटिश सरकार की चिंता बढ़ी और उन्होने मजदूर नेताओं पर मेरठ षड्यंत्र के नाम पर देशद्रोह का मुकदमा चला दिया। इसी बीच 1930 ई० में सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ हुआ और मजदूरों को सुरक्षा प्रदान कि गई।
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