यूरोप में राष्ट्रवाद का विस्तृत वर्णन
19वीं शताब्दी में यूरोप में राष्ट्रवाद का उभार एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक घटना के रूप में सामने आया। यह वह समय था जब यूरोपीय देशों में विभिन्न क्रांतियाँ, एकीकरण और संघर्ष हुए, जो न केवल इन देशों की राजनीति को प्रभावित करते थे, बल्कि राष्ट्रीय पहचान और सामूहिक गौरव को भी नया रूप देते थे।
इस अवधि में यूरोप के विभिन्न देशों ने एकजुट होने के लिए संघर्ष किया, और राष्ट्रीय एकता की भावना को प्रबल किया। आइए, यूरोप में राष्ट्रवाद की इस यात्रा को और विस्तार से समझें।
जुलाई 1830 की क्रांति:
जुलाई 1830 की क्रांति यूरोप में राष्ट्रवाद के प्रसार का एक महत्वपूर्ण क्षण था। यह क्रांति फ्रांस में हुई, जब चार्ल्स दसवें का निरंकुश शासन जनता के असंतोष के कारण समाप्त हो गया। इस क्रांति ने लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बढ़ावा दिया और यूरोप के अन्य हिस्सों में भी राष्ट्रवादी आंदोलनों को प्रेरित किया।
इस समय में, बेल्जियम और पोलैंड जैसे देशों में स्वतंत्रता की मांग उठी, और राष्ट्रीयता की भावना ने व्यापक रूप से अपना प्रभाव दिखाया।
1830 की क्रांति का प्रभाव:
1830 की क्रांति का प्रभाव सिर्फ फ्रांस तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे यूरोप में इसका असर पड़ा। बेल्जियम ने ऑस्ट्रिया से स्वतंत्रता प्राप्त की और एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित हुआ। पोलैंड में भी आंदोलन हुआ, हालांकि इसे दबा दिया गया। इन घटनाओं ने यूरोप में यह सिद्ध कर दिया कि राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता की भावना सामूहिक जन जागरण का रूप ले सकती है। इसके परिणामस्वरूप, यूरोप के विभिन्न हिस्सों में राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता की नई विचारधारा पनपी।
नापोलियन बोनापार्ट यूरोप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं। उनका जन्म 15 अगस्त 1769 को कोर्सिका द्वीप पर हुआ था, जो उस समय फ्रांस का हिस्सा नहीं था। नापोलियन का उदय फ्रांस में क्रांति के समय हुआ और उन्होंने अपनी सैन्य क्षमता, कूटनीतिक कौशल और नेतृत्व क्षमता से यूरोप के अधिकांश हिस्सों में अपनी शक्ति फैलायी।
नापोलियन बोनापार्ट और फ्रांसीसी क्रांति:
नापोलियन की प्रारंभिक सफलता फ्रांसीसी क्रांति के दौरान हुई। 1799 में, फ्रांसीसी क्रांति के बाद उत्पन्न हुए राजनीतिक अस्थिरता और अनिश्चितता के बीच, नापोलियन ने 18 ब्रुमेयर (9 नवम्बर 1799) को एक कू और सत्ता पर कब्जा किया। इसके बाद उन्होंने खुद को पहले कांसुल और फिर 1804 में फ्रांस का सम्राट घोषित किया।
नापोलियन के विजय अभियान:
नापोलियन ने अपनी सेना के माध्यम से यूरोप के कई देशों पर विजय प्राप्त की। 1805 में, उन्होंने ऑस्ट्रिया, रूस, और स्वीडन को हराया और 1807 में तुतोवा और फ्रांस में यूरोपीय शक्तियों के खिलाफ उनकी प्रमुख जीतें प्राप्त की। 1812 में, नापोलियन ने रूस पर आक्रमण किया, लेकिन यह अभियान विफल हो गया और यह उनकी शक्ति के पतन की शुरुआत थी।
नापोलियन का साम्राज्य और उसका पतन:
नापोलियन का साम्राज्य यूरोप में फैला था, लेकिन 1812 में रूस से हुई हार के बाद, उनका साम्राज्य धीरे-धीरे टूटने लगा। 1814 में, नापोलियन को पराजित किया गया और उन्हें एलबा द्वीप पर निर्वासित कर दिया गया। हालांकि, 1815 में उन्होंने अपने साम्राज्य को पुनः स्थापित करने के लिए "सौ दिनों" की अवधि में वापसी की, लेकिन वाटरलू की लड़ाई में हारने के बाद, उन्हें सेंट हेलेना द्वीप पर निर्वासित कर दिया गया, जहां 1821 में उनकी मृत्यु हो गई।
नापोलियन का योगदान:
नापोलियन का सबसे बड़ा योगदान उनके द्वारा स्थापित "नापोलियन कोड" था, जो कि कानूनों का एक संहिता था, जिसे आज भी कई देशों में लागू किया जाता है। उनके शासन ने यूरोप में राजनीतिक और सामाजिक संरचनाओं को प्रभावित किया और कई देशों में राष्ट्रवाद और एकता की भावना को बढ़ावा दिया।
नापोलियन बोनापार्ट की विरासत मिश्रित है। वह एक महान सैन्य नेता के रूप में प्रसिद्ध हैं, लेकिन उनके साम्राज्य का विस्तार और उनकी अत्यधिक महत्वाकांक्षाएं यूरोप में युद्धों और विध्वंस का कारण बनीं। उनके शासनकाल ने यूरोप की राजनीतिक धारा को हमेशा के लिए बदल दिया।
सन 1848 ई. की क्रांति:
1848 में यूरोप में एक और महत्वपूर्ण क्रांति का दौर आया, जिसे "सभी राष्ट्रों की क्रांति" कहा जाता है। इस क्रांति ने यूरोप के कई देशों में लोकतांत्रिक सुधारों की मांग को तीव्र किया। फ्रांस में दूसरी गणराज्य की स्थापना हुई, जबकि जर्मनी, इटली, हंगरी और पोलैंड में भी जनता ने अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता और राष्ट्रीय एकता के लिए संघर्ष किया। हालांकि, इन क्रांतियों का अधिकांशतः असफल होना, यह सिद्ध करता है कि राष्ट्रवाद को संस्थागत बनाने में कठिनाइयाँ थीं, फिर भी इसने यूरोप के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया।
इटली का एकीकरण:
इटली का एकीकरण यूरोप में राष्ट्रवाद के प्रमुख उदाहरणों में से एक था। 19वीं शताब्दी के मध्य तक इटली कई छोटे-छोटे राज्यों और दुशमन क्षेत्रों में बंटा हुआ था। इस विखंडन को समाप्त करने के लिए कई महान नेताओं ने प्रयास किए।
मेझिनी:
गियोवानी मेझिनी, जो एक महान राष्ट्रवादी विचारक थे, ने इटली के एकीकरण के लिए जन जागरण और स्वतंत्रता की वकालत की। उनका आदर्श एक गणराज्य का निर्माण करना था, जिसमें सभी इटालियंस की समानता और स्वतंत्रता हो।
काउंट कावूर:
काउंट कावूर, जो पीडमोंट-सार्डिनिया के प्रधानमंत्री थे, ने इटली के एकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम उठाए। उन्होंने 1859 में ऑस्ट्रिया से लोंबर्डी और एस्टेरिया क्षेत्रों को प्राप्त किया, जिससे इटली के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
गैरीबाल्डी:
गैरीबाल्डी, इटली के महान सैन्य नेता और राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने "लाल शर्ट" आंदोलन की अगुआई की। उन्होंने सिसली और नेपल्स को जीतकर उन्हें इटली के अन्य हिस्सों से जोड़ दिया, जो एकीकरण की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
जर्मनी का एकीकरण:
जर्मनी का एकीकरण भी एक उल्लेखनीय राष्ट्रवादी घटना थी। जर्मन क्षेत्र पहले कई छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। इस एकीकरण का श्रेय ऑटो वॉन बिस्मार्क को जाता है, जिन्होंने प्रुसिया के प्रधानमंत्री के रूप में जर्मनी को एकजुट किया।
बिस्मार्क:
ऑटो वॉन बिस्मार्क ने कूटनीति और युद्ध का प्रयोग करके जर्मनी का एकीकरण किया। 1870 में फ्रांसीसी-प्रुसियाई युद्ध के परिणामस्वरूप जर्मनी का एकीकरण हुआ और एक नया जर्मन साम्राज्य स्थापित हुआ, जिसने यूरोप की राजनीतिक ताकत को बदल दिया।
यूनान में राष्ट्रीयता का उदय:
यूनान में राष्ट्रीयता का उदय 1820 के दशक में हुआ जब यूनानियों ने ऑटोमन साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए विद्रोह किया। यह संघर्ष यूरोप में राष्ट्रवादी भावनाओं को और अधिक प्रोत्साहित करने वाला था। 1830 में यूनान ने स्वतंत्रता प्राप्त की और एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।
हंगरी, पोलैंड, बोहेमिया:
हंगरी, पोलैंड, और बोहेमिया में भी राष्ट्रवादी आंदोलनों का उभार हुआ। हंगरी में 1848 की क्रांति ने ऑस्ट्रिया से स्वतंत्रता की ओर एक कदम बढ़ाया, लेकिन इसे दबा दिया गया। पोलैंड और बोहेमिया में भी समान संघर्ष हुए, लेकिन इनमें सफलता नहीं मिल पाई। पोलैंड ने 1918 में स्वतंत्रता प्राप्त की, जबकि बोहेमिया को 1918 में चेकोस्लोवाकिया के रूप में स्वतंत्रता मिली।
निष्कर्ष:
यूरोप में राष्ट्रवाद का विकास 19वीं शताब्दी के ऐतिहासिक घटनाओं और आंदोलनों से जुड़ा था। इटली और जर्मनी के एकीकरण जैसे प्रयासों ने यह सिद्ध कर दिया कि एक राष्ट्र की राजनीतिक एकता, सामाजिक पहचान और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए राष्ट्रवाद एक शक्तिशाली प्रेरणा हो सकता है।
इन आंदोलनों ने यूरोप के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया और भविष्य में अन्य देशों में भी राष्ट्रीय एकता के लिए संघर्ष को प्रेरित किया। यूरोप में राष्ट्रवाद का यह युग न केवल एक राजनीतिक क्रांति का प्रतीक था, बल्कि यह स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के आदर्शों को बढ़ावा देने वाला भी था।
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